कभी मानव-नरसंहारों के लिए विख्यात जहानाबाद पर लिखी एक आत्मपरक कविता। कभी मानव-नरसंहारों के लिए विख्यात जहानाबाद पर लिखी एक आत्मपरक कविता।
घर घर अलग जगाएं हम। हर व्यक्ति एक पेड़ लगाए, तो धरती महकाएं हम ।। घर घर अलग जगाएं हम। हर व्यक्ति एक पेड़ लगाए, तो धरती महकाएं हम ।।
मन तृप्ति पा जाता है नव जीवन की श्रृंगारों में श्रृंगारी मुक्ती पाता है जड़ चेतन के आधारों में मन तृप्ति पा जाता है नव जीवन की श्रृंगारों में श्रृंगारी मुक्ती पाता है जड़ चेत...
मन उदास हो गया और फिर मेरा ‘गंतव्य’ आ गया। मन उदास हो गया और फिर मेरा ‘गंतव्य’ आ गया।
हिन्दुस्तान को वह महादेश बना हिन्दुस्तान को वह महादेश बना
जेट प्लेन को निम्बू मिर्ची का चोखा लगाना पड़ रहा है। जेट प्लेन को निम्बू मिर्ची का चोखा लगाना पड़ रहा है।